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मेरे दर्द तो मेरे रहने दो

DhirawatDhirawat January 30, 2022
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झूठ फरेब की दुनिया में, क्या तेरा है, क्या मेरा है?

यूँ ही छलती है दुनिया, हर शख्स ही एक लुटेरा है।

ना बोला तुम से कुछ भी, पर आज मुझे यह कहने दो,

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


एक कदम आगे लेकर, मैं चार कदम पीछे लौटा।

जिन रस्तों से गुज़र चुका था, फिर उन पर खाया धोखा।

दहलीज़ों से राहगुज़र तक, मैं तो चलता चला गया,

जितने काँटे गुज़रगाह में, ख़लिश तो उनकी सहने दो।

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


जिन को मैं ने अपना माना, भोंक के खंजर चले गए।

जिन के हवाले किया गुलिस्ताँ, कर के बंजर चले गए।

जो ग़म सीने में पाला था, कितना दिल में ख़ला गया,

हाशिये से गहरे जा कर, कसक का दरिया बहने दो।

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


छींटे देकर आग लगाने- का भी तो सही मौका ना था,

अंगारों से शमा बुझाते, कभी मैंने यह सोचा ना था!

बुझी जो मुश्किल से सीने में, तू फिर उसको जला गया,

आतिश वो दिल में जलती है, बस अब मुझको दहने दो।

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


जिस दिन से हम जुदा हुए हैं, ख़्याल तेरे बस सीने में।

तुझ बिन मैं जिंदा दिखता हूं?!!! क्या जीना यूं जीने में?

जमी जो बरसों से सीने में, क्यों उसको तू गला गया?

सर्द बर्फ़ तेरे ग़म की दिल में, गहरी जमते रहने दो।

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


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