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एक कहानी है जो रोज़ बनती है
जब वह घर से निकलती है
और फुटपाथ पर चलती है
थोड़ी सी कुछ
ज़िन्दगी सी गुजरती है
कुछ आँखों में बस्ती है
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एक कहानी है जो रोज़ बनती है
जब वह घर से निकलती है
और फुटपाथ पर चलती है
थोड़ी सी कुछ
ज़िन्दगी सी गुजरती है
कुछ आँखों में बस्ती है
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