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शाम का सपना

Dharmendra AhirwarDharmendra Ahirwar June 16, 2020
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पानी का छोर दिख नहीं रहा 

तो मान लिया जाए 

कि मैं समुद्र को देख रहा हूँ तालाब में 


अगर मैं समुद्र पर पैर रखकर खड़ा हो जाऊं

तो ज़ाहिर है की सूरज को नीचे से छू लूँगा 

शायद, वह मेरी हथेली पर आ जाए


अभी अभी जो नाव गुजरी है 

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