
Share0 Bookmarks 45 Reads0 Likes
मुझ पर उंगली उठाते हो
क्या खुद को देखा है कभी?
मुझ पर इल्ज़ाम लगाते हो
क्या खुद के बारे में सोचा है कभी?
सोचा है पहले तुम भी ऐसे थे,
बिल्कुल मेरे जैसे थे
गलतियां तुम भी किया करते थे,
उन्ही गलतियों से सीखा करते थे।
अब तुम बड़े बन गए हो
इसीलिए सही बन गए हो
मेरी गलतियां तुम्हे परेशानी लगती है
तुम्हारी सही मेरी बेगानी लगती हैं।
मै तो अभी खड़ा हो रहा हूं,
इसीलिए शायद गलती कर रहा हूं,
सीख जाऊंगा तुम्हारी तरह एक दिन,
फिर करूंगा हर काम गलती किए बिन।
भरोसा तो रखो हौसला तो दो,
मुझको भी सीखने का मौका तो दो,
सीख कर कुछ करने लायक बनुंगा ,
कुछ करके ही तो नाम रोशन करूंगा।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments