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बीज जैसा बोओगे
फल वैसा ही पाओगे
महापुरुषों की यही है वाणी
यही है सब धर्मों की कहानी
बीज के लिए मैं क्या कहूं
गुणों के उसका क्या बखान करूं
इसी से ही सारी सृष्टि है
इसी पर ही टिकी दृष्टि है
इसका रोल है बहुत अहम
इस पर नहीं किसी को वहम
जीवन का सारा सार है इसमें
जैसे पूरा ब्रह्माण्ड है इसमें
अच्छे-बुरे इसके पहलू हैं
जिसमें से कुछ घरेलू है
इसी से मिलता है परिणाम
कब हो जाए अपनी शाम
कब होगा किसका उत्थान
न हो कभी उसमें व्यवधान
बीज का है ये सारा खेल
परिणाम निकलता पास या फेल
अच्छे बीज को गर अपनाओगे
फल भी सुखद तुम पाओगे
जीवन क्या है समझ जाओगे
धोखा न कभी तुम खाओगे
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देवेश दीक्षित
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