नारी's image
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 नर नारायण की इस भूमि पर ,नारी का सम्मान नही  
नर की जय जयकार हर तरफ ,नारी का कोई मान नही 
अहम पालक इस नर का ,नारी बिन कोई सार 
नही 
जनमा उसकी गोद में है मिट ,मिलता उसकी गोद मे है
यहाँ नारी बिन आधार नही, नारी बिन कोई सार नही 

लगी सभा हसितनापुर की ,यह द्रौपदी पड़ी निठाल है
कृष्ण की इस धारा पे ,बस नर ही नारी का काल है

चली आ रही शदियों से ,यह रीत बड़ी पुरानी है 
कल बस राँवन अभिमानी था, आज राम अभिमानी है
बस वहम के अहम में , जले जा रहा है ये नर अभी 
निचोड़ के नारी बदन को, ओड रहा है ये नर अभी 

वक्त की चाल बस ,जरा आगे निकल आयी है 
धरा अभी वही है बदले न बदल पायी है 

रामायण अंश है जिसका महाभारत जिसका सार है 
यहाँ हुए हर धर्म युद्ध मे बस नारी ही नारी आधार है

काल की चाल में विघ्न बन गयी यम की राह में अड़िग बन गयी
यू ही नही सावित्री महान हो गयी यमपूरी भी तेज से परेशान हो गयी

है खिलाया जिसने महाकाल को अपनी गोद मे 
है किया तृप्त जिसने त्रिदेवो को अपनी गोद मे
है तरसरे गंदर्भ भगवान भी जिसके मोद को 
है कहा मिलता यहां सम्मान उसकी गोद को

हैं नही समझता नर ,नारी क्या विकराल है 
है वो ही शून्य ,उसमे ही तीनो काल है 
दुर्गा चण्डी काली का ,जब नारी में रूप दिखे 
तभी समझता है नर ,जब नारी का यह स्वरूप दिखे





Devendra yadav 


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