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लिखना आसान नहीं होता है, हम जो कुछ भी लिखते हैं उसके लिये समाज के प्रति उत्तरदायी हो जाते हैं। हमारा लेख हमारी पहिचान बन जाता है।
हमारे द्वारा लिखा गया एक एक शब्द भले ही वह कल्पित हो ! किन्तु उसे हमारे निजी जीवन से जोड़ दिया जाता है।
हमें हमारी शैली और शब्दों से तोला जाता है।
लेखन अपने आप मे एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
कहीं न कहीं हमारा लिखा हुआ समाज के परिवर्तन में जिम्मेदार होता है।
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