शायर's image
Share0 Bookmarks 210778 Reads2 Likes

उसका जाना नहीं खलता अब मुझे,

हवा जरूरी है लौ जलने के लिए।


शिकायत अपनों से होती है परायो से नहीं,

वफा जरूरी है बे-वफा होने के लिए।


फना की रूह तब हुआ इस काबिल,

ज़िक्र हुए बिना दर्द समझने के लिए।


वो चाहें तो ढूंढ लें इलाज मेरा,

पर मर्ज़ ज़रूरी है मर्ज़ समझने के लिए।


यूं कश्ती के सहारे नही गुज़ारी जाती जिंदगी,

किनारा जरू

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts