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हम मिले जिसे भी बड़े तपाक से मिले,
जिसने देखा हमें उसने निगाहें फेर लीं।
कुछ दूर तलक तो चले साथ हमारे,
मोड़ आते ही फिर सबने राहें फेर लीं।
राजी हुए आखिर बताने को अपना सबब-ए-गम
ज़िक्र आया जहां भी तेरा हमने वो बातें फेर दीं।
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