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उसका मिलना कोई जरूरी तो नहीं,
उसका ख्वाबों में आना ही काफी है।
वो मुझे चाहे ना चाहे, है उसकी मर्जी,
मैं चाहता हूं उसे बस यही काफी है।
अलाव जलाने की ज़रूरत नही मुझे,
उसका दिल जलाना ही काफी है।
उसे आवाज़ देने का दिल नहीं करता,
वो पलट जाए एक बार यही काफी है।
नहीं चाहता उसकी मोहब्बत फिर से,
वो पहचान ले मुझे बस यही काफी है।
तेरे नाम से आबाद होने का था ख्वाब मिरा,
जुड़कर तुझ से मेरा नाम बदनाम ही काफी है।
उस खुदा से मागूंगा एक और जिंदगी,
तुझे पाने के लिए ये उम्र नाकाफी है।
मैं अगर आया तो होगी बगावत,
तेरी महफिल में मेरा नाम ही काफी है।
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