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शहरों ने किए जब भी वादे काम देने के ,
बच्चों ने मैदान छोड़े किसानों ने खलिहान छोड़ दिए।
बुजुर्गों की बद्दुआ लगी कुछ यूं उस गांव को,
चिड़ियों ने घोंसले छोड़े दरख़्तों ने साये छोड़ दिए।
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