
Share0 Bookmarks 52 Reads0 Likes
यूं तो मसले और भी हैं जिंदगी में सुलझाने को
तेरा ख्याल इस कदर है कि मैं अपने काम भूल जाता हूं।
जब साथ था तेरे तो वक्त याद नहीं रहता था
अब दफ्तर जाते वक्त अक्सर घड़ी भूल जाता हूं।
खुद को बर्बाद कर सकूं मैं इतना खुश नसीब नहीं
शख्स है जहां में और भी मैं ये क्यूं भूल जाता हूं।
मैं कौन था क्या करता था तुझसे मिलने से पहले
शुरू हुआ ये सिलसिला कब याद करूं तो भूल जाता हूं।
एक वक्त तेरे सजदे में सारी आयतें याद थीं मुझे
अब हाल है कि खुद की ही लिखी शायरी भूल जाता हूं।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments