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पता है तुम्हें
अक्सर रातों में,
मैं बहुत बातें करती हूं तुम्हारी चांद से,
तुम्हारे आने से पहले, तुम्हारे जाने के बाद में, कभी तारीफ तुम्हारी, मैं बहुत शिकायते भी करती हूं तुम्हारी चांद से।
दीप्ती
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