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शीर्षक- कवि का द्वन्द्व
मैं जो कुछ महसूस करूं, बस वो ही तो लिख पाऊंगा I
चेतन की दुनिया सिमट गई, नए शब्द कहां से लाऊंगा II
शब्द चलो जो ले भी आया, भाव कहां भर पाऊंगा I
निर्-अर्थक मिथ्या शब्दों को, तुम तक कैसे पहुंचाऊंगा II
मूक शब्द भर काव्य करूं, संवाद कहां कर पाऊंगा I
संदेश सही दे ना पाऊं, मैं ऐसा ना लिख पाऊंगा II
लिख दूंगा मजबूरी में, मन को कैसे समझाऊंगा I
जब लेखन गौरव चला गया, बोलो कैसे जी पाऊंगा II
जीना तो फिर होगा लेकिन, घुट-2 कर मर जाऊंगा I
महसूस करूंगा जो दिल में सच, गीत वही अब गाऊंगा II
अब तक हूं अंजान मगर, अपने कौशल पर नाज मुझे I
अंजान गली से उठ कर मैं, सब मंचों पर छा जाऊंगा II
दीपक शर्मा
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