
दोस्ती,मस्ती,इशारा,इंतिजार
वो लुका-झुुपी,वो पहला प्यार
दिल-दिमाग,धड़कन,आखों मे उसका खुमार
तरसती निगाहे,आना उसका जैसे मीठा एहसास...
रोज़ क्लास आते ही, आखों का उसकी खोज मे निकल जाना
हाथो का हाथो से टकराना,और फिर दिल का धक-धक धड़क जाना
छुट्टी होते ही उसका इशारों-इशारों मे बुलाना
गेट से निकलते ही,सीधे केंटीन आ जाना
उसकी इवादत ,मेरा इकरार
कठिन है भूलना, वो पहला प्यार
क्यो न हो उनसे प्यार? ज़रा बस एक नज़र देखिए
हारे क्यो न हम आपना सबकुछ उन पर,उनका हुनर देखिए
उनका हुनर,उनकी मुस्कान
नूर चहरे पे,आखों मे गुमान ,उनकी पहचान
आदाए उनकी,मेरा बुखार,वो पहला प्यार
हो जाए कब कोई अंदाजा नही लगता
ये वो घर है जहां कोई ताला नही लगता
पहला प्यार हमेशा सच्चा लगता है, हो गर अधूरा, तब भी पूरा लगता है
किसी गज़ल,कविता,कहानी,किस्से जैसा लगता है, पहला प्यार,सपने जैसा लगता है....
~दीपक पाटकार
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