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तुम क़ायनात हो मेरी यही जानता था,
सबसे ज्यादा तुझे मानता था।
न समझ नहीं था पर न जाने क्यों,
मेरा सब कुछ में तुझे मानता था।
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तुम क़ायनात हो मेरी यही जानता था,
सबसे ज्यादा तुझे मानता था।
न समझ नहीं था पर न जाने क्यों,
मेरा सब कुछ में तुझे मानता था।
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