
Share0 Bookmarks 87 Reads1 Likes
ये कोई कविता नहीं
मेरे कलम की थोड़ी सी स्याही है
इस संसार की सचाई है
जो मेरी नजरो से मेरे जहन में उतर गई
और मेरे जहन से इस कलम में भर आई है
मैं लिखता नही कल्पनाओं को जोड़
इनसे मैं पन्ने नही भर पाता
हकीकत लिख देता हूं हूब हू
हर किसी को खुश नही कर पाता
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments