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उसकी रज़ा
ये तो लकीरें ले आई यहां
वरना हमें कहां मंजूर था
ना कर भी दे क्या फर्क पड़ता है
उसने सोचा कुछ ज़रूर होगा
रास्ते में खारा समंदर दिया तो क्या
मंजिल पर मीठे
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