
Share0 Bookmarks 72 Reads0 Likes
उसकी रज़ा
ये तो लकीरें ले आई यहां
वरना हमें कहां मंजूर था
ना कर भी दे क्या फर्क पड़ता है
उसने सोचा कुछ ज़रूर होगा
रास्ते में खारा समंदर दिया तो क्या
मंजिल पर मीठे पानी का चश्मा भी ज़रूर होगा
मैं तो डूब ही चुका था लगभग
उसने मुझे बचाया है
उसने सोचा कुछ जरूर होगा
उसकी रज़ा है ये तो
उसने लिखा कुछ लकीरों में जरूर होगा
दीपक
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments