Share0 Bookmarks 214207 Reads0 Likes
वादा किया था वापिस आने का
ले मैं वापिस आ गया
खुद दरवाजा ना खटखटा सका
तिरंगे में लिपट के आ गया
आंखों से आंसू पोंछ लें अपने
तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है
इस फौजी पर हुकुम चलाने वाली रोती अच्छी नहीं लगती है
क्या हुआ अब साथ नही हूं तेरे
बस इतने ही दिन हमारे हिस्से आने थे
कुछ वा
ले मैं वापिस आ गया
खुद दरवाजा ना खटखटा सका
तिरंगे में लिपट के आ गया
आंखों से आंसू पोंछ लें अपने
तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है
इस फौजी पर हुकुम चलाने वाली रोती अच्छी नहीं लगती है
क्या हुआ अब साथ नही हूं तेरे
बस इतने ही दिन हमारे हिस्से आने थे
कुछ वा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments