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वादा किया था वापिस आने का
ले मैं वापिस आ गया
खुद दरवाजा ना खटखटा सका
तिरंगे में लिपट के आ गया
आंखों से आंसू पोंछ लें अपने
तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है
इस फौजी पर हुकुम चलाने वाली रोती अच्छी नहीं लगती है
क्या हुआ अब साथ नही हूं तेरे
बस इतने ही दिन हमारे हिस्से आने थे
कुछ वादे किए थे इस मिट्टी से
मैंने वो भी तो निभाने थे
मुझे याद कर मुस्करा लिया कर
अब तेरे आंसू पोंछने नहीं आ पाऊंगा
तस्वीर बनकर रह जाऊंगा
तेरा फोन नहीं उठा पाऊंगा
चल अब मुस्कुरा दे जरा सा
तू रोती अच्छी नहीं लगती
दीपक
ले मैं वापिस आ गया
खुद दरवाजा ना खटखटा सका
तिरंगे में लिपट के आ गया
आंखों से आंसू पोंछ लें अपने
तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है
इस फौजी पर हुकुम चलाने वाली रोती अच्छी नहीं लगती है
क्या हुआ अब साथ नही हूं तेरे
बस इतने ही दिन हमारे हिस्से आने थे
कुछ वादे किए थे इस मिट्टी से
मैंने वो भी तो निभाने थे
मुझे याद कर मुस्करा लिया कर
अब तेरे आंसू पोंछने नहीं आ पाऊंगा
तस्वीर बनकर रह जाऊंगा
तेरा फोन नहीं उठा पाऊंगा
चल अब मुस्कुरा दे जरा सा
तू रोती अच्छी नहीं लगती
दीपक
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