
Share0 Bookmarks 45 Reads2 Likes
मैंने आंसुओ से एक किताब लिखी है
जिसमें गिने चुने से पन्ने है
आंसुओ की स्याही बनाके लिख दिया
जो भी मेरे दिल में है
वक्त के समंदर में जिंदगी की नाव हिचकोले खा रही
एक लहर के साथ तैरती
तो एक लहर के साथ डूबे जा रही है
सपनो के साहिल हासिल न हुए
दिल में दबे रह गए
गुजरते वक्त के साथ राख हो गए
क्या उम्मीद करे किस्मतो से अब
जो गहराइयों में दफन है
मैंने आंसुओ से एक किताब लिखी है
जिसमें गिने चुने से पन्ने है
दीपक
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments