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उच्च शिक्षा और हिंदी

Deepak ChaudharyDeepak Chaudhary September 18, 2021
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उच्च शिक्षा का सामान्य अर्थ होता है सामान्य शिक्षा से ऊपर दी जाने वाली किसी विषय विशेष में शिक्षा। यह शिक्षा विश्वविद्यालयों , व्यवसायिक विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों , प्रौद्योगिकी संस्थानों आदि में दी जाती है। जिससे विषय विशेष में शोध करने से नवाचार होता है तथा इससे मानव संसाधन (कौशल , कला ) का विकास होता है।


             देश के आजाद होने के बाद देश में विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों और प्रौद्योगिकी संस्थानों की संख्या बढ़ी है पर आज भी भारत का एक तबका उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाया है। इसके आर्थिक और सामाजिक कारण हो सकते हैं पर एक कारण उच्च शिक्षा में हिंदी या क्षेत्रीय भाषा का ना होना भी है।


         भारत की शिक्षा व्यवस्था 1854 में पारित 'चार्ल्स वुड डिस्पैच' पर आधारित है जिसे 'भारत की शिक्षा का मैग्नाकार्टा' कहा जाता है, के अनुसार स्कूल-स्तर तक की शिक्षा हमें हमारी क्षेत्रीय भाषा में दी जाती हैं और उच्च-स्तर की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में दी जाती है। अचानक से शिक्षा का माध्यम बदल दिए जाने से विद्यार्थियों के पढ़ाई दक्षता प्रभावित होती है।


देश आजाद होने के बाद, अगर यूं कहें तो 1854 के बाद भारत की 'नई शिक्षा नीति 2020' एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। जिसके द्वारा अब उच्च शिक्षा में पढ़ाई का 'माध्यम हिंदी' भी कर दिया गया है। इसी के तहत आईआईटी बीएचयू ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी माध्यम में भी कराने का फैसला लिया है। इसके साथ ही यह देश का पहला संस्थान बन गया है जो हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करायेगा।


            पर इतने भर कर देने से हिंदी भाषा की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। इसे आगे और अधिक प्रभावी बनाने के

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