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समाचार मीडिया आम जनता तक समाचार पहुंचाने का कार्य करता है यह कई तरीके से करता है। जैसे 'प्रिंट मीडिया' जिसमें अख़बार, पत्र-पत्रिका, पुस्तक आदि आते हैं और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिसमें टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा आते हैं। न्यायालय ने इनके माध्यम से अभिव्यक्त को प्रभावशाली बनाने के लिए 'इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़ पेपर केस 1985' में प्रेस की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना है।
भारत में प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। क्योंकि यह सरकार को उत्तरदायी बनाते हैं और तानाशाही से लोकतंत्र की रक्षा करते हैं। भारत जैसे देश में प्रेस जनता की राजनीतिक शिक्षा का प्रमुख माध्यम माना जाता है। जिसमें जनता को सरकार की योजना और कार्यक्रम के बारे में जानकारी देना, जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करना तथा इसके साथ-साथ सरकार की सफलता और असफलता के बारे में जनता को बताना।
लेकिन वर्तमान में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रहा है। धन बल के द्वारा खबरों को प्रभावित किया जा रहा है न्यूज़ चैनल्स कुछ वर्ग विशेष के बारे में लगातार खबरें चलाते रहते हैं तो कुछ वर्गों को खबरों से ही दूर कर देते हैं।
इस समय न्यूज़ चैनल्स पर नया ट्रेंड चल रहा है 'मीडिया ट्रायल' का। जिसमें आधे अधूरे सबूतों और ज्ञान के आधार पर किसी अपराधी (जिसका केस अभी न्यायालय में चल रहा है) के बारे में पूरा माहौल इस तरह बनाया जाता है जैसे कि यही अपराधी है। जिससे न्यायालय का निर्णय भी प्रभावित होता है। इसके कई उदाहरण भी है। जैसे आरुषि तलवार मर्डर केस, प्रियदर्शनी मट्टू मामला और सुशांत सिंह केस (रिया चक्रवर्ती)। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया ट्रायल को रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी करने को कहा है।
आज के समय में मीडिया TRP के चक्कर में या तो किसी सेलिब्रिटी के बारे में सनसनीखेज़ खबर चला देंगे या फिर उलूल-जलूल खबरें चलायेंगे जैसे तैमूर ने आज खाने में ये खाया, कैटरीना ने आज इस कलर की ड्रेस पहनी हुई थी इत्यादि।
आज के समय में न्यूज़ एंकर और पत्रकार खुद ही आपस में लड़ते रहते हैं कोई किसी को कोई गोदी मीडिया कह रहा है तो कोई किसी को चमचा मीडिया कह रहा है।
जिस मीडिया को जनता का लालटेन होना था वही आज जनता को गुमराह किये हुए हैं।
~ दीपक चौधरी
भारत में प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। क्योंकि यह सरकार को उत्तरदायी बनाते हैं और तानाशाही से लोकतंत्र की रक्षा करते हैं। भारत जैसे देश में प्रेस जनता की राजनीतिक शिक्षा का प्रमुख माध्यम माना जाता है। जिसमें जनता को सरकार की योजना और कार्यक्रम के बारे में जानकारी देना, जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करना तथा इसके साथ-साथ सरकार की सफलता और असफलता के बारे में जनता को बताना।
लेकिन वर्तमान में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रहा है। धन बल के द्वारा खबरों को प्रभावित किया जा रहा है न्यूज़ चैनल्स कुछ वर्ग विशेष के बारे में लगातार खबरें चलाते रहते हैं तो कुछ वर्गों को खबरों से ही दूर कर देते हैं।
इस समय न्यूज़ चैनल्स पर नया ट्रेंड चल रहा है 'मीडिया ट्रायल' का। जिसमें आधे अधूरे सबूतों और ज्ञान के आधार पर किसी अपराधी (जिसका केस अभी न्यायालय में चल रहा है) के बारे में पूरा माहौल इस तरह बनाया जाता है जैसे कि यही अपराधी है। जिससे न्यायालय का निर्णय भी प्रभावित होता है। इसके कई उदाहरण भी है। जैसे आरुषि तलवार मर्डर केस, प्रियदर्शनी मट्टू मामला और सुशांत सिंह केस (रिया चक्रवर्ती)। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया ट्रायल को रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी करने को कहा है।
आज के समय में मीडिया TRP के चक्कर में या तो किसी सेलिब्रिटी के बारे में सनसनीखेज़ खबर चला देंगे या फिर उलूल-जलूल खबरें चलायेंगे जैसे तैमूर ने आज खाने में ये खाया, कैटरीना ने आज इस कलर की ड्रेस पहनी हुई थी इत्यादि।
आज के समय में न्यूज़ एंकर और पत्रकार खुद ही आपस में लड़ते रहते हैं कोई किसी को कोई गोदी मीडिया कह रहा है तो कोई किसी को चमचा मीडिया कह रहा है।
जिस मीडिया को जनता का लालटेन होना था वही आज जनता को गुमराह किये हुए हैं।
~ दीपक चौधरी
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