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मेरी प्यारी माँ
तू घर की कर्णधार
तू ही घर की सूत्रधार
तू घर की लक्ष्मी,
तू ही घर की सरस्वती
मेरी प्यारी माँ
मेरे हर गलतियों पर डाँटा करती है, पर प्यार से बेटा भी बुलाती है।
हमेशा कहती रहती है: अब न करेंगे कुछ तुम्हारे लिए, पर साथ हमेशा खड़ी रहती है।
मुझे कोई परेशानी न हो, इसलिए खुद सारी परेशानियों का सामना करती है।
मेरी प्यारी माँ
आज भी याद है वो बचपन के दिन, खुद पढ़ना नहीं आता, पर मैं पढूँ इसलिए साथ बैठी रहती थी।
खुद कभी स्कूल नहीं गयी, पर मुझे रोजाना स्कूल भेजा करती थी।
हमारा बेटा बड़का अफसर बन जाए , इसके लिए एक- एक पैसा इकठ्ठा करके हमें पढ़ाती थी।
मेरी प्यारी माँ
अपने जरूरतों का भले ध्यान न रखे, पर हम सब के जरूरतों का ध्यान रखतीं हैं।
~दीपक चौधरी
तू घर की कर्णधार
तू ही घर की सूत्रधार
तू घर की लक्ष्मी,
तू ही घर की सरस्वती
मेरी प्यारी माँ
मेरे हर गलतियों पर डाँटा करती है, पर प्यार से बेटा भी बुलाती है।
हमेशा कहती रहती है: अब न करेंगे कुछ तुम्हारे लिए, पर साथ हमेशा खड़ी रहती है।
मुझे कोई परेशानी न हो, इसलिए खुद सारी परेशानियों का सामना करती है।
मेरी प्यारी माँ
आज भी याद है वो बचपन के दिन, खुद पढ़ना नहीं आता, पर मैं पढूँ इसलिए साथ बैठी रहती थी।
खुद कभी स्कूल नहीं गयी, पर मुझे रोजाना स्कूल भेजा करती थी।
हमारा बेटा बड़का अफसर बन जाए , इसके लिए एक- एक पैसा इकठ्ठा करके हमें पढ़ाती थी।
मेरी प्यारी माँ
अपने जरूरतों का भले ध्यान न रखे, पर हम सब के जरूरतों का ध्यान रखतीं हैं।
~दीपक चौधरी
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