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रोहित जो इलाहाबाद में रह कर पढ़ाई करता है उसका अगले 15 दिनों में लेखपाल की परीक्षा है वह उसके लिए कई महीनों से तैयारी कर रहा है। वह रोज शाम की तरह आज भी घर का हाल-चाल पूछने के लिए माँ के पास फोन किया ...
रोहित- हैलो माँ
माँ- हाँ बेटा
रोहित ने नमस्ते किया, दादा की तबीयत के बारे में पूछा, खेत और फसलों की भी जानकारी ली। इन सब के बाद उसकी माँ ने कहा -
माँ- बेटा, आज हम डॉक्टर के पास गये थे उन्होंने बताया कि आँख में मोतियाबिंद पक चुकी है इसका आपरेशन जल्दी कराना जरूरी है।
तुम्हें पता तो है ही कि मुझे चूल्हे पर खाना बनाने और रात को देखने में दिक्कत होती है अगर जल्दी आपरेशन हो जायेगा तो अच्छा रहेगा। तुम कब आ रहे हो ?
रोहित- माँ, मैं पिछले कई दिनों से लेखपाल परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ अब 15 दिन बचे हैं अगर मैं परीक्षा के आखिरी दिनों में नहीं पढ़ा तो अब तक की मेरी मेहनत बर्बाद हो जायेगी। थोड़े दिन और रूक जाओ!
माँ थोड़े समय शांत रहने के बाद ...
माँ- ठीक है, बेटा!
"एक माँ,
बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो सके
खुद को अंधेरे में रखना स्वीकार कर लेती है।"
~ दीपक चौधरी
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