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सर्दियों के मौसम में शाम का समय था लगभग 4:00 बज रहे होंगे। कालेज कैंपस में जिन लोगों की क्लास नहीं थी वे लोग इधर-उधर घूम रहे थे एमएससी प्रथम वर्ष वालों की केमिस्ट्री की क्लास चल रही थी जो खत्म होने वाली थी।
क्लास खत्म होने के बाद आदित्य जिसे कॉलेज के लोग 'आदि' के नाम से बुलाते हैं, ने 'आध्या' को रुकने को बोला...
आदि- क्या हुआ आध्या ? आजकल तुम मुझसे बोलती क्यों नहीं ?
आध्या- बचपन से आज तक बोलती ही तो आ रही हूँ और कितना बोलूँ तुमसे ...
आदि- तुम इतना गुस्सा क्यों हो ?
आध्या- मैं कहां गुस्सा हूँ !
आदि- यदि मेरी वजह से कोई समस्या आ रही हो तो बताओ। मैं उसका हल निकालूंगा !
आध्या- मेरे घरवाले चाहते हैं कि मैं तुमसे बात ना करूं और ना ही तुमसे मिलूं। और मैं अपने घरवालों का सम्मान करती हूँ।
आदि कुछ देर सोचने के बाद...
आदि- मैंने आज तक तुम्हें किसी बात के लिए टोका नहीं है आज भी तुम्हें नहीं टोकूंगा। तुम्हें जो उचित लगे करो।
सुनो ! क्या मेरी एक आखरी बात मानोगी ?
आध्या- बोलो...
आदि- क्या रेस्टोरेंट चलोगी ?
आध्या- (आश्चर्यचकित होकर) क्यों ?
आदि- मुझे तुम्हारे साथ कुछ और पल बिताने का मौका मिल जायेगा और हम लोग कुछ खा भी लेंगे। तुम इसे 'ब्रेकअप पार्टी' ही समझ लो।
आध्या ना, ना कहते हुए भी जाने को राजी हो गई। वे रेस्टोरेंट में पीछे की एक टेबल पर बैठ गए।
आध्या ने हमेशा की तरह मीनू कार्ड उठाकर उसमें से पनीर चाऊमीन और वनीला आइसक्रीम आर्डर किया।
आदि ने आध्या का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे निहार रहा था वह इस पल को सदियों के बराबर जी लेना चाहता था। जैसे वह इन एक- एक क्षणों में अपनी बची हुई जिंदगी को जी लेना चाहता हो। वह इस पल को समेटने की कोशिश कर रहा था। उसने आध्या के हाथ को और कस के पकड़ लिया। जैसे वह इस क्षण को यहीं पर रोक देना चाहता हो। और आध्या से कह रहा हो मत जाओ, यहीं पर ठहर जाओ।
इतने में वेटर ने पनीर चाऊमीन और वनीला आइसक्रीम लाकर टेबल पर रख दिया।
कुछ देर बाद वे दोनों रेस्टोरेंट से बाहर निकले 'आध्या' ने जाने से पहले 'आदि' को गले लगाया जैसे वह उसे धन्यवाद कह रही हो।
~दीपक चौधरी
क्लास खत्म होने के बाद आदित्य जिसे कॉलेज के लोग 'आदि' के नाम से बुलाते हैं, ने 'आध्या' को रुकने को बोला...
आदि- क्या हुआ आध्या ? आजकल तुम मुझसे बोलती क्यों नहीं ?
आध्या- बचपन से आज तक बोलती ही तो आ रही हूँ और कितना बोलूँ तुमसे ...
आदि- तुम इतना गुस्सा क्यों हो ?
आध्या- मैं कहां गुस्सा हूँ !
आदि- यदि मेरी वजह से कोई समस्या आ रही हो तो बताओ। मैं उसका हल निकालूंगा !
आध्या- मेरे घरवाले चाहते हैं कि मैं तुमसे बात ना करूं और ना ही तुमसे मिलूं। और मैं अपने घरवालों का सम्मान करती हूँ।
आदि कुछ देर सोचने के बाद...
आदि- मैंने आज तक तुम्हें किसी बात के लिए टोका नहीं है आज भी तुम्हें नहीं टोकूंगा। तुम्हें जो उचित लगे करो।
सुनो ! क्या मेरी एक आखरी बात मानोगी ?
आध्या- बोलो...
आदि- क्या रेस्टोरेंट चलोगी ?
आध्या- (आश्चर्यचकित होकर) क्यों ?
आदि- मुझे तुम्हारे साथ कुछ और पल बिताने का मौका मिल जायेगा और हम लोग कुछ खा भी लेंगे। तुम इसे 'ब्रेकअप पार्टी' ही समझ लो।
आध्या ना, ना कहते हुए भी जाने को राजी हो गई। वे रेस्टोरेंट में पीछे की एक टेबल पर बैठ गए।
आध्या ने हमेशा की तरह मीनू कार्ड उठाकर उसमें से पनीर चाऊमीन और वनीला आइसक्रीम आर्डर किया।
आदि ने आध्या का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे निहार रहा था वह इस पल को सदियों के बराबर जी लेना चाहता था। जैसे वह इन एक- एक क्षणों में अपनी बची हुई जिंदगी को जी लेना चाहता हो। वह इस पल को समेटने की कोशिश कर रहा था। उसने आध्या के हाथ को और कस के पकड़ लिया। जैसे वह इस क्षण को यहीं पर रोक देना चाहता हो। और आध्या से कह रहा हो मत जाओ, यहीं पर ठहर जाओ।
इतने में वेटर ने पनीर चाऊमीन और वनीला आइसक्रीम लाकर टेबल पर रख दिया।
कुछ देर बाद वे दोनों रेस्टोरेंट से बाहर निकले 'आध्या' ने जाने से पहले 'आदि' को गले लगाया जैसे वह उसे धन्यवाद कह रही हो।
~दीपक चौधरी
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