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मैं मंदिरों में कम जाया करता हूँ , अक्सर
माँ के पैरों में ही ईश्वर की सेवा कर लेता हूँ ।
क्यों इतनी लंबी दूरी तय करूं , शिवालयों का
घर में ही माँ को महामृत्युंजय मंत्र अर्पण कर लेता हूँ ।
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