
Share0 Bookmarks 54 Reads0 Likes
मुझे बिजली के कड़कने से डर सा लगता था
कुछ यूं मुझे वो डरने से बचा लिया करती थी ।
बेचैन सी होके मेरे करीब आकर बैठ जाती
और बाहों में कसकर भर लिया करती थी ।
मैं इसी आस में आसमान की ओर देखता रहता ,
क्या ये कड़कड़ाहट कुछ पल और नही ठहर सकती थी ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments