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बेटे यदि शब्द है कविता के तो बेटियाँ उसकी आत्मा है
बेटे यदि भविष्य है कुटुम्भ का तो बेटियाँ मध्य की डोर है
बेटी को पराई कहा जाता है केवल
हर एक दुःख सुख में आगे होती है।।
-सुरेन्द्र पंचारिया
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