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कोई ख़बर भी सुन ले या फिर इश्तेहार देख।
सब झूठ का ग़ुबार है तू जितनी बार देख।
दुनिया बहुत हसीन है गुमान था तुझे।
बर्बाद कर रहा हूँ अय परवरदिगार देख।
अब आईने भी झूठ की तस्वीर हो गए।
सच्चाई देखनी है तो फिर आर पार देख।
-दानिश मुहम्मद खान-
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