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माहौल चुनावी आया फिर से
सांप कांचली बदलेंगे
बन भोले बाबा के नाग गले के
चुपके से तुमको डस लेंगे ।
जहर जहर
बस जहर भरा है
सबकुछ जहरीला कर देंगें
मांगेगी तड़पकर भूख जब रोटी
ये जहर जहन में भर देंगे
जहर की लहर पर ये सांप सपोले
उल्लू अपना सीधा कर लेंगे
लड़ते रहना तुम एक दूजे से
वो सिंघासन चढ़ लेंगे
माहौल चुनावी आया फिर से
सांप कांचली बदलेंगे
बन भोले बाबा का नाग गले का
चुपके से तुमको डस लेंगे
चुपके से तुमको ....... ।
डॉ .विनोद कुमार
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