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आन, बान और शान हूं, हिंदुस्तान की जान हूं !
सच्ची नियत, मजबूर इरादे और खुददारी की पहचान हूं !
खून पसीना जब गिरता है, धरती का रूप संवरता है !
क्या अमीर क्या गरीब, सबका ही पेट भरता है !
ज़लिमो ना मारो ठोकर मुझे, मैं ही देश का वरदान हूं !
कोई दुशमन और आंतकी नहीं, मैं तो बस किसान हूं, मैं तो बस किसान हूं!
बहुत हुआ अन्याय अब न सहूंगा, हक के लिए अपने लड़ूंगा!
गरमी, सर्दी या हो आंधियों की बरसात, पिछे ना अब हटूंगा !
धनुष पे जो एक बार चड गया, मै वो अचुक बाण हूं !
कोई दुशमन और आंतकी नहीं, मैं तो बस किसान हूं, मैं तो बस किसान हूं!
बात तुने ना मेरी मानी, बस लाठियां बरपाई है !
थक गया जब तू जूलम ढाते ढाते, अपने हाथ से रोटी तुझे खिलाई है!
ऐ
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