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मैं तो बस किसान हूं,

Daleep NagraDaleep Nagra August 30, 2021
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आन, बान और शान हूं, हिंदुस्तान की जान हूं !

सच्ची नियत, मजबूर इरादे और खुददारी की पहचान हूं !

खून पसीना जब गिरता है, धरती का रूप संवरता है !

क्या अमीर क्या गरीब, सबका ही पेट भरता है !

ज़लिमो ना मारो ठोकर मुझे, मैं ही देश का वरदान हूं !

कोई दुशमन और आंतकी नहीं, मैं तो बस किसान हूं, मैं तो बस किसान हूं!


बहुत हुआ अन्याय अब न सहूंगा, हक के लिए अपने लड़ूंगा!

गरमी, सर्दी या हो आंधियों की बरसात, पिछे ना अब हटूंगा !

धनुष पे जो एक बार चड गया, मै वो अचुक बाण हूं !

कोई दुशमन और आंतकी नहीं, मैं तो बस किसान हूं, मैं तो बस किसान हूं!


बात तुने ना मेरी मानी, बस लाठियां बरपाई है !

थक गया जब तू जूलम ढाते ढाते, अपने हाथ से रोटी तुझे खिलाई है!

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