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धरती के पुत्र है किसान

सभी के पालन हर है किसान

मिट्टी के से रक्षक है ये अन्न के दाता है

राज करे ये धरती पर काज करे ये धरती पर

खून पसीने से करते सिंचित

फसलों की हानी हो फिर भी नही किंचित

फर्क नहीं सैनिक और तुझ में

तूने पहरा दिया खेतो पर

उस ने दिया पहरा सीमाओं पर

है धरती पुत्र अब फर्क कहा खेतो से प्यारा स्वर्ग कहा

नही जीना घर परिवार का पेट काट

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