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अगर किसी ज़िंदगी में हो मक़सद गहरा कोई
सेज मुलायम हो पर सुकून भरी रात कहां आती है
अगर पूरा ना हो सपना तुम्हारा देखा कोई
लाख जतन पे भी चहरे पे रंगत कहां आती है
खाली हाथ ना मुड़ा हो जिस दर से फकीर कभी
उस घर में डबास आखिर किल्लत कहां आती है
जिसकी सोच में मैल हो, जज़्बात सारे खेल हों
उस दिल में डबास आखिर औरत कहां आती है
सामने महोब्बत, वो प्यार की मूरत, करती शरारत
इसके अलावा जमीं पर जन
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