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संवादों की भाषा बदली,
लोग नही बदले .
जीवन की परिभाषा बदली,
लोग नही बदले ...
संदेशों ने संकेतों की
भाषा नई गढ़ी
जैसे अनुबंधोंने स्वरमें
कविता नई पढ़ी
मौलिकता है मौन,
गीत के मिलते नहीं तले....
दूरभाष ने बदली है अब
जीवन की भाषा
इससे आभासित होती है
नितनूतन आशा
दरवाजों मे ऐंठ आ रही
बोल
लोग नही बदले .
जीवन की परिभाषा बदली,
लोग नही बदले ...
संदेशों ने संकेतों की
भाषा नई गढ़ी
जैसे अनुबंधोंने स्वरमें
कविता नई पढ़ी
मौलिकता है मौन,
गीत के मिलते नहीं तले....
दूरभाष ने बदली है अब
जीवन की भाषा
इससे आभासित होती है
नितनूतन आशा
दरवाजों मे ऐंठ आ रही
बोल
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