Nanhi Gouraiya's image
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इंसान के फरेब की क़िस्त बड़ी लम्बी हैं,

कि अब तक तो कायनात रुक जानी थी,

आसमान के सितारें टूट कर गिर जाने थे,

इन सातों समंदर का पानी सुख जाना था | 


कहो आखिर शुरुआत कहाँ से की जाए,

नन्ही गोरैये की ज़िद थी कि वापस नहीं आएगी,

पेड़ों की शाखें,पत्तें और घरोंदें छोड़ जाएगी,

नहीं लौटेगी, कहते हैं अब कभी नहीं आएगी | 


पेड़ों की शाख

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