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आपके उत्तरीय मुख दर्शन किये पलकें नहीं छुपाता है,
वह प्रीत की ओर संकल्पित करता है।
मेरे नयन झुकता नहीं, पश्चात दर्शन के,
आपके विस्मय को श्रद्धा अर्पित करता है ।
आपकी स्मृति के सहस्त्रों धूमिल ब
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