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हां उस धुप में, उस छांव में,
फिर उसी पुराने गांव में,
मैं फिर से वापस लौटना चाहता हूँ,
पढ़ा था जिसके साथ में,
खाया था जिसके हाथ से,
वही दिन, फिर उसी रात में,
मैं फिर से वापस लौटना चाहता हूँ,
किया था जिसने वादा मुझसे,
कभी न छोड़ जाने का,
अब है उसकी आस बस,
उसके लौट के आने का,
उसी भोर, फिर उसी शाम में,
मैं फिर से वापस लौटना चाहता हूँ,
उस फरवरी की यादों में,
उस दिन की ठंडी वादों में,
तुम मेरे हो, मैं तेरा हूँ,
नहीं जाना कभी बस छोड़ के,
बस चला गया मुँह मोड़ के,
उसी आज, उसी कल में,
मैं फि
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