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किसी की रोटी फेंकी जाती है,
कहीं पड़े पड़े खाना सड़ जाता है,
दो वक्त की रोटी ना मिले न साब,
किसी का पूरा परिवार ही मर जाता है।
मानव भी कब जड़ हो जाते है..!!
कभी आधा सिर तो कभी धर हो जाते है
लगा फटकार भगाए जाते है गरीब यहां,
कुत्ते प्यार से पालने पर जाते है।
किसी को दो वक्त की रोटी ना हो नसीब तो,
गरीब है, जहर खा के बस मर जाते है।
उपजाते तो निवाला शहर के लिए,
भूख पेट लिए ही घर जाते है,
तुम सोचते नहीं फेंकने से पहले थाली में,
उस गरीब के बारे में एक बार,
जिनके पास न कपड़े है ना बिस्तर पर सो पाते है,
बस दो वक्त न मिलने पर खाना
आपका खाना उपजाने वाले परिवार,
कभी कभी भूखे ही मर जाते है
कहीं पड़े पड़े खाना सड़ जाता है,
दो वक्त की रोटी ना मिले न साब,
किसी का पूरा परिवार ही मर जाता है।
मानव भी कब जड़ हो जाते है..!!
कभी आधा सिर तो कभी धर हो जाते है
लगा फटकार भगाए जाते है गरीब यहां,
कुत्ते प्यार से पालने पर जाते है।
किसी को दो वक्त की रोटी ना हो नसीब तो,
गरीब है, जहर खा के बस मर जाते है।
उपजाते तो निवाला शहर के लिए,
भूख पेट लिए ही घर जाते है,
तुम सोचते नहीं फेंकने से पहले थाली में,
उस गरीब के बारे में एक बार,
जिनके पास न कपड़े है ना बिस्तर पर सो पाते है,
बस दो वक्त न मिलने पर खाना
आपका खाना उपजाने वाले परिवार,
कभी कभी भूखे ही मर जाते है
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