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यकीं तो होने दो
अभी उनको ज़रा हसीन तो होने दो
ये महफ़िल ज़रा रंगीन तो होने दो
हम खुद ही इश्क़ में कैदी हो जाएं
अरे! जुर्म ज़रा संगीन तो होने दो
अब नशा तो बस उनसे ही चढ़ता है
इस शराब की ज़रा तौहीन तो होने दो
बस नज़रो से नज़रें मिली है अभी
उन्हें इश्क़ का ज़रा शौक़ीन तो होने दो
इन ख़्वाबों में ही, मैं अब गिर जाऊंगा
मेरे पैरों तले ज़रा जमीन तो होने दो
उनके हाथों में हाथ हमारे भी होंगे
उन्हें, हम पर ज़रा यकीन तो होने दो
- आयुष
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