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जब तुम गई थी
मैने एक बीज बोया था
ये सोच कर कि एक दिन
तुम वापस आओगी
और मैं, इस बीज से
उगने वाले वृक्ष की
छांव में बैठ कर
तुम्हे, तुम पर ही लिखी
अपनी रचनाएं सुनाऊंगा
पर, अब ये वृक्ष भी
बूढ़ा हो चुका है
मेरी तरह
और आज भी मैं
बैठता हूं इस वृक्ष की
छांव में, हम दोनो
करते है इंतजार, तुम्हारा
ये सोचकर कि
तुम एक दिन वापस
जरूर आओगी।
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