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सच
मोमबत्ती चर्च में जली कई हज़ार
पास के घरों में अंधेरा सा कर गया
चादरें मज़ार पर चढ़ी कई हज़ार
रात भर ठंड से फ़क़ीर मर गया
ऐ खुदा! गर है कहीं तो पूछता हूँ मैं
इस जमीं पे कैसा तू इंसाफ कर गया
पत्थरो पे चढ़ रहे पकवान थे, मगर
सीढ़ियों में भूखा एक इंसान मर गया
- आयुष
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