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मैं तो उड़ना चाहती हूँ
खुले आसमान में उड़ते परिंदे की तरह,
ना कोई डर हो ना कोई गम,
बस पंखों को फैलाकर अपने दम पर,
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मैं तो उड़ना चाहती हूँ
खुले आसमान में उड़ते परिंदे की तरह,
ना कोई डर हो ना कोई गम,
बस पंखों को फैलाकर अपने दम पर,
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