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इन घरों में बताओ अब
कौन रहता है?
इन लता-गुल्मों में
किसका दिल बहलता है?
था कभी गुलज़ार
अब खाली पड़ा है
एक बीता वक्त
यादों में जड़ा है
कोई आता भी नहीं दिखता यहां पर
वक्त किसका देर तक घर में ठहरता है?
यही घर था यहां पर
कुछ लोग रहते थे
पेड़ को रब, धूल को
चंदन समझते थे
बाल बच्चों से भरा रह
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