
चलो तुम्हे पुराने दौर की मोहब्बत कराता हूँ,
क्या कब कैसे बदला सब बताता हूँ,
मौजूद नही थी छत कहीं पर, यहाँ चबूतरे हुआ करते थे,
बिन मोबाइल के उस दौर में कबूतरें हुआ करते थे,
स्क्रीनशॉट का न तब संसार हुआ करता था,
महज बातों से ही उस पर ऐतबार हुआ करता था,
किसी की शादी में आई कोई मेहमान हुआ करती थी,
कोई पड़ोस की लड़की यहाँ जान हुआ करती थी,
कभी गलियों पर तो कभी पनघट में दीदार हुआ करता था,
न दिखने पर यहाँ आशिक़ सोगवार हुआ करता था,
उसके, कहीं खेतों, पहाड़ों पर इंतज़ार होता था,
बस ऐसे ही पुराना प्यार होता था,
दिन बदले, नया दौर आया, इश्क़ करने का तरीका कोई और आया,
पहले इशारों में होती थी मोहब्बत, अब इश्क़ का शोर आया, 24 घंटे फ़ोन पर बात हुआ करता है,
ये सिलसिला दिन और रात हुआ करता है,
ये पनघट ये गालियां सब खतम हुए,
अब सीधे ओयो पर मुलाकात हुआ करता है,
डार्लिंग बेबी बाबू सोना से इनका वेक-अप होता है,
किसी रोज इंस्टा, वट्सप चेकअप होता है,
खत्म होता है यहीं आशिको की मोहब्बत,
इसी रोज मोहब्बत में ब्रेकप होता है,
पुराने दौर को ज़िंदा फिर एक बार करना है मुझे,
उस जमाने सा तुमसे प्यार करना है मुझे..
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