काले बाल, गुलाबी ओठ, नीली आखों वाली रंगो की मल्लिका थी वो
मैं बेरंग सा जीवन में तमाम अंधेरा समेटे पागल बंजारा था
मिलते ही उसने अपने हुस्न के रंग में इस कदर डुबोया मुझको
उसके जाने के बाद भी अब तलक कोई और रंग भाया नही मुझको
~ चेतन कुमार कर्ण
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