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मेरा परिचय मेरी कविता के कुछ पद्य।
1
जग ने पूछा कौन व्यथित हैं,
प्रश्न प्रश्न प्रति प्रश्न हुआ।
प्रश्नो की प्रतिध्वनि से झंकृत,
उपनिषदों सी बोली कविता।
2
चलो आज तुम साथ हमारे,
उथलेपन से गहराई में।
लिखो आज कुछ गुणन भाग फल,
जोड़ घटाने वाली कविता।।
3
वेद ऋचाओं सी वह आयी,
मैं विषयी विष पोषण में।
तोषण की तत्परता का ,
परिणाम बताने आयी कविता।।
4
कौन कहां कैसे कैसे कब,
कारण वारण हेतु रहा।
कठिन द्वन्द विस्मित मय मन में,
मुर्हु मुर्हु मुरझायी कविता।।
5
बीत गया सब शून्य शेषमय,
नींद स्वप्न सहलाने में,।
सम्बन्धो की परिभाषा का ,
सत्य बताने आती कविता।।
6
कहने को तो बहुत है लेकिन,
कहने से अब क्या होगा,।
बिना कहे ही काम चलाओ,
यही मुझे समझायी कविता।।
7
समझो समझदार होने का,
दम्भ पालना घातक है।
यही समझ हर समझदार को,
बार बार समझायी कविता।।
8
बेरे बेटे मेरे अपने,
अपने में मैं ढूढ़ रहा।
अपनों में अपनों का अन्तर,
अर्थ सहित समझायी कविता।।
9
पाचक और अपाचक सारे,
पाठ पढ़ाकर चले गये।
घाव पीठ के खोल खोल कर,
सबको मत दिखलाओ कविता।।
10
छोटे और बड़े होने का ,
अन्तर भेद बताने को,
एक बीज में छिपे वृक्ष का,
तथ्य सही समझायी कविता।।
11
बचपन गया बोलकर यौवन,
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