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तेरे जिक्र भर से ही मैं खिल उठती हूं
बेशक तेरा जायका किसी और के होंटो पर है
बेवफाई ही सही
मेरे हिस्से तू कुछ तो आया
तेरी कहानी के उस मोड़ पर मेरा ज़िक्र है
बहुत सिमटा लिया है मैने खुद को अब
मुझे आज भी तेरी चादर की फिक्र है
बेशक तेरा जायका किसी और के होंटो पर है
बेवफाई ही सही
मेरे हिस्से तू कुछ तो आया
तेरी कहानी के उस मोड़ पर मेरा ज़िक्र है
बहुत सिमटा लिया है मैने खुद को अब
मुझे आज भी तेरी चादर की फिक्र है
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