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पांव से लिपटा है एक सफर
भटकना बन गया है मुकद्दर
जिधर भी जाऊं ,,,,
तुझ से ही आ मिलता हु
जाने किस फकीर की
दुआओं का है असर
कोन पढ़ता है मेरे हक में दुआ
डुबू भी तो , उछाल देता है समंदर
भटकना बन गया है मुकद्दर
जिधर भी जाऊं ,,,,
तुझ से ही आ मिलता हु
जाने किस फकीर की
दुआओं का है असर
कोन पढ़ता है मेरे हक में दुआ
डुबू भी तो , उछाल देता है समंदर
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