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कितना अच्छा होता कि तुम
मुझे देख कर आगे बड़ जाते ,,,,
यू , रुक कर मेरी तरफ न आते
फिर ना ,शुरू होता वाही
बेचेनियो का सिलसिला,,,,,
फिर से ना , तुम मेरी धड़कनों
को महकाते ,,,,
कितना अच्छा होता
हम अजनबी ही रहते
तुम ना कुछ कहते ,,,
हम ना कुछ सुनते ,,,
पास होने में और
साथ होने में
आज भी वही फर्क है
काश तुम अब तो समझ पाते
मुझे देख कर आगे बड़ जाते ,,,,
यू , रुक कर मेरी तरफ न आते
फिर ना ,शुरू होता वाही
बेचेनियो का सिलसिला,,,,,
फिर से ना , तुम मेरी धड़कनों
को महकाते ,,,,
कितना अच्छा होता
हम अजनबी ही रहते
तुम ना कुछ कहते ,,,
हम ना कुछ सुनते ,,,
पास होने में और
साथ होने में
आज भी वही फर्क है
काश तुम अब तो समझ पाते
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