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जवानी जो धूप में जलती नही है
वक्त आने पर वो निखरती नही है
बैठ कर बंद ऐ/सी वाले कमरों में
कहानी अश्कों वाली बनती नहीं है
पूछो उस बाप से, जो अभी अपनी
बेटी की देह को फूंक कर आया है
जिसको बचाया था कभी ,,,,,,,
कांटा लगने से भी ,,,,,,,
वो आज जलने से भी डरती नहीं है
ये क्या दौर आया है , दोस्तों
वृद्ध आश्रम में बैठी
मां हो रही है शर्मसार ,,,,
पर आंखे बेटों की झुकती नही है
मैं वही हूं जिसे नाज़ था कि
बेटा हूया है,,,,आज वो मां पूरे
मुहल्ले में कहती थकती नही है
वक्त आने पर वो निखरती नही है
बैठ कर बंद ऐ/सी वाले कमरों में
कहानी अश्कों वाली बनती नहीं है
पूछो उस बाप से, जो अभी अपनी
बेटी की देह को फूंक कर आया है
जिसको बचाया था कभी ,,,,,,,
कांटा लगने से भी ,,,,,,,
वो आज जलने से भी डरती नहीं है
ये क्या दौर आया है , दोस्तों
वृद्ध आश्रम में बैठी
मां हो रही है शर्मसार ,,,,
पर आंखे बेटों की झुकती नही है
मैं वही हूं जिसे नाज़ था कि
बेटा हूया है,,,,आज वो मां पूरे
मुहल्ले में कहती थकती नही है
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